शेर और चूहे की कहानी (Sher Aur Chuhe Ki Kahani)

यह कहानी है एक शेर और एक चूहे की, जो अपने आप में बड़े और छोटे होने के नाते हमेशा संघर्ष करते रहते हैं। इस कहानी के माध्यम से हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि साझा-भागीदारी और विश्वास की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है जब हमें एकता और एकजुटता की आवश्यकता होती है। चलो शेर और चूहे की कहानी पढ़ें और वीडियो देखें।

शेर और चूहे की कहानी की वीडियो

आइए एक मधुर और रोचक कहानी की ओर बढ़ें, जहां हम देखेंगे शेर और चूहे की अद्भुत मित्रता की कहानी। यह कहानी हमें एक सबक सिखाती है कि हमें किसी की छोटी या बड़ी साइज़ के आधार पर उन्हें नहीं नापना चाहिए। चलिए अब हम इस कहानी का वीडियो देखते हैं।

शेर और चूहे की कहानी

एक बार की बात है, एक जंगल में एक चूहा रहता था। एक दिन जब वह अपने बिल की ओर लौट रहा था, तो उसने एक गुफ़ा में एक शेर को आराम करते देखा। चूहा ने शेर को मजे में सोते हुए देखकर शरारती मन में उठाई। वह शेर की गुफ़ा में घुसा और शेर पर चढ़ गया। वह शेर पर उछल-कूद करने लगा और उसके बाल खींचने लगा।

चूहे की शरारत से शेर की नींद खुल गई और उसने चूहे को अपने तीखे पंजे में दबोच लिया। चूहे ने जब शेर के पंजे में खुद को पाया, तो वह समझ गया कि शेर के गुस्से से अब उसे कोई नहीं बचा सकता और आज उसकी मौत तय है।

चूहा बुरी तरह डर गया और रो-रोकर शेर से विनती करने लगा, “शेर जी, मुझे मत मारो, मुझसे भूल हो गई, मुझे जाने दो। अगर आज आप मुझे जाने देंगे, तो मैं आपके इस उपकार के बदले भविष्य में जब भी आपको किसी मदद की जरूरत होगी, मैं आपकी मदद करूँगा।

शेर और चूहे की कहानी

चूहे की बातें सुनकर शेर की हंसी निकल गई। शेर ने कहा, “तुम तो खुद इतने छोटे हो, मेरी मदद क्या करोगे?” चूहे की विनती सुनकर शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को छोड़ दिया। चूहे ने शेर को धन्यवाद बोला और वहां से चला गया।

अचानक

थोड़े दिनों बाद, जब शेर खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था, तभी अचानक किसी शिकारी ने फैलाए गए जाल में फंसा देखा। शेर ने खुद को जाल से निकालने के लिए प्रयास किया, लेकिन वह निकल नहीं पाया। काफी समय तक प्रयास करने के बाद, शेर ने मदद के लिए दहाड़ लगानी शुरू की।

उसी समय, वह चूहा उस तरफ़ से गुज़र रहा था और उसने शेर की दहाड़ने की आवाज सुनी। चूहा भागकर शेर के पास गया और शेर को जाल में फंसे हुए देखकर चौंक गया। वह बिना देर किए अपने तेज़ दांतों से जाल को काटने लगा और कुछ ही समय में पूरे जाल को काटकर शेर को आजाद कर दिया। चूहे की इस मदद से शेर की आंखें भर आईं और नम आंखों से शेर ने चूहे को धन्यवाद किया। दोनों मित्र आपस में बातचीत करते हुए वहां से चले गए। उनकी दोस्ती बड़ी मजबूत बनी।

शेर और चूहे की कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी इंसान को सिर्फ उसके आकार और सामरिक शक्ति के आधार पर नहीं जज्बाती रूप से छोटा या बड़ा समझना चाहिए। हमें दूसरों की सहायता करनी चाहिए, क्योंकि जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तब कोई दिन हमारी मदद के लिए आगे आता है। दोस्ती और सहयोग एक अद्वितीय संबंध होता है, जो हमारे जीवन को सुंदर और पूर्णतापूर्ण बनाता है।

शेर और चूहे की कहानी का इतिहास

यह शेर और चूहे की कहानी एक प्रसिद्ध पंचतंत्र कथा है जो प्राचीन भारतीय साहित्य में स्थान प्राप्त करी है। यह कहानी पंचतंत्र की एक ग्रंथिका में संग्रहित है और यह पशु-पक्षी की जगह ले लेकर मनुष्यों के बीच होने वाली दोस्ती के बारे में सिखाती है। इस कहानी की मूल रचना विश्वविख्यात लोककथाओं और नीतिकथाओं की एक मशहूर वाणी है। यह कहानी सदियों से लोगों के बीच प्रस्तुत हो रही है और इसका महत्व आज भी बना हुआ है।

शेर और चूहे की कहानी” में एक जंगल में रहने वाले एक चूहा और एक शेर की कहानी सुनाई जाती है। इस कहानी में चूहा शेर के गुफा में घुस जाता है और उसे परेशान करता है, जबकि शेर पकड़ कर उसे मारने की कोशिश करता है। हालांकि, चूहा शेर को मना करता है और कहता है कि वह अपनी जान बचाने के बदले में शेर की मदद करेगा। धीरे-धीरे, चूहा और शेर एक-दूसरे की मदद करते हैं और एक दूसरे के दोस्त बन जाते हैं।

“शेर और चूहे ” की संक्षेप में कहानी

एक जंगल में एक चूहा रहता था। एक दिन वह शेर की गुफा में घुस गया। वह शेर के ऊपर उछल-कूद करने लगा।

शेर ने चूहे को पकड़ लिया और उसे मारने की सोच रहा था। चूहा ने रोते हुए विनती की कि उसे जाने दें। चूहे ने कहा कि उसने गलती की है और भविष्य में शेर की मदद करेगा।

शेर को चूहे पर दया आई और उसे छोड़ दिया। दिनों बाद, जब शेर जाल में फंस गया, चूहे ने आकर उसे बचाया। शेर ने चूहे की मदद के लिए धन्यवाद कहा और दोनों दोस्त बन गए।

इस कहानी से हमें सिख मिलती है कि हमें छोटे और बड़े को अनुभवों से मापने की जगह, दूसरों की मदद करने की आवश्यकता होती है।

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निष्कर्ष

इस कहानी के अंत में, हम देखते हैं कि शेर और चूहे ने अपनी भ्रांति को समझा और एक-दूसरे की मदद करना सीखा। वे साझा-भागीदारी और विश्वास के महत्व को समझने लगे और एकजुट होकर अपनी समस्याओं को हल करने में सफल हुए। इस कहानी से हमें यह सिखाया जाता है कि एक दूसरे की मदद करके हम सम्पूर्णता की प्राप्ति कर सकते हैं और एकता के माध्यम से हम सभी को सशक्त बना सकते हैं।

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