कक्षा 2 के लिए छोटी नैतिक कहानियाँ (Class 2 Short Moral Stories in Hindi​)

बच्चों को अच्छी आदतें और संस्कार सिखाने के लिए कहानियाँ सबसे अच्छा तरीका होती हैं। खासतौर पर कक्षा 2 के बच्चों के लिए हिंदी में लघु नैतिक कहानियाँ (Class 2 Short Moral Stories in Hindi​) न केवल मनोरंजक होती हैं, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा भी देती हैं।

इस ब्लॉग में हम दस सरल और रोचक कहानियाँ साझा कर रहे हैं, जो बच्चों को सच्चाई, ईमानदारी, परिश्रम, मित्रता, दयालुता और अन्य महत्वपूर्ण नैतिक मूल्यों का महत्व सिखाएँगी।

Here’re are the top 10 class 2 short moral stories in hindi​:

1. सच्चाई का इनाम (Sachchai Ka Inam)

एक गाँव में छोटू नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत चतुर था, लेकिन कभी-कभी झूठ बोल देता था। उसकी माँ ने उसे हमेशा सिखाया था कि सच बोलना सबसे अच्छी आदत होती है। लेकिन छोटू को यह बात ठीक से समझ में नहीं आती थी।

sachchai ka inam

एक दिन, छोटू खेत में खेल रहा था। खेलते-खेलते उसने अपने पिताजी की नई घड़ी गिरा दी और वह घड़ी टूट गई। छोटू बहुत डर गया। उसे लगा कि अगर उसने पिताजी को सच बताया तो वह नाराज हो जाएंगे। इसलिए उसने झूठ बोल दिया कि “पिताजी, मुझे नहीं पता कि घड़ी कैसे टूटी!”

लेकिन पिताजी समझ गए कि छोटू झूठ बोल रहा है। उन्होंने प्यार से पूछा, “बेटा, क्या तुमने घड़ी तोड़ी?”

छोटू ने अपनी माँ की सिखाई हुई बात याद की और तुरंत सच बोल दिया, “हाँ पिताजी, यह गलती मुझसे हुई।”

पिताजी मुस्कुराए और बोले, “सच बोलने वाले को हमेशा इनाम मिलता है। घड़ी तो ठीक हो सकती है, लेकिन झूठ बोलने से भरोसा टूट जाता है।”

सच्चाई का इनाम – कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच बोलना सबसे अच्छी आदत है। झूठ बोलने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं, लेकिन सच बोलने से हम भरोसेमंद बनते हैं।

2. मेहनत का फल (Mehnat Ka Fal)

एक छोटे गाँव में मोहन और सोहन नाम के दो भाई रहते थे। मोहन बहुत मेहनती था, लेकिन सोहन हमेशा आलस करता था। उनकी माँ उन्हें हमेशा सिखाती थीं कि “मेहनत करने से ही सफलता मिलती है।”

एक दिन माँ ने दोनों भाइयों को आम का एक-एक बीज दिया और कहा, “इसे लगाकर देखो, तुम्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।”

मोहन ने अपने बीज को मिट्टी में लगाया, उसे रोज पानी दिया और धूप में सही जगह रखा। कुछ ही दिनों में उसमें से एक छोटा पौधा निकल आया।

वहीं, सोहन ने बीज को इधर-उधर फेंक दिया और सोचा कि “मुझे मेहनत करने की जरूरत नहीं, आम तो अपने आप आ जाएंगे!”

mehnat ka fal

कुछ महीनों बाद मोहन का पौधा बड़ा होकर एक सुंदर पेड़ बन गया, लेकिन सोहन के पास कुछ भी नहीं था। वह उदास होकर माँ के पास गया और बोला, “माँ, मुझे भी आम चाहिए!”

माँ ने कहा, “बेटा, जो मेहनत करेगा, वही फल पाएगा। अब तुम भी मेहनत से कोई काम करना सीखो।”

मेहनत का फल – कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो मेहनत करेगा, उसे ही सफलता मिलेगी। बिना मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।

3. दयालु बंदर (Dayalu Bandar)

एक जंगल में एक दयालु बंदर रहता था। वह हमेशा सभी की मदद करता था। जंगल में एक बूढ़ा हाथी भी रहता था, जो बहुत कमजोर था। बाकी जानवर उसे तंग करते थे, लेकिन बंदर उसे हमेशा सहारा देता था।

dayalu bandar

एक दिन बहुत तेज बारिश हुई। पूरा जंगल पानी से भर गया और जानवरों को भागना पड़ा। हाथी बहुत बूढ़ा था, वह तेजी से नहीं भाग सकता था। बाकी जानवर उसे छोड़कर चले गए, लेकिन बंदर ने उसकी मदद करने का सोचा।

बंदर ने एक पेड़ से रस्सी जैसी बेल तोड़ी और उसे हाथी के पास ले गया। उसने हाथी को धीरे-धीरे पकड़कर सुरक्षित जगह तक पहुँचाया।

कुछ दिनों बाद जब बारिश रुकी, तो सभी जानवरों को रहने के लिए नई जगह चाहिए थी। तब हाथी ने अपनी सूंड से एक बड़ा पेड़ गिराया जिससे सभी के लिए नया घर बन गया।

सभी जानवर बहुत खुश हुए और बोले, “बंदर ने हाथी की मदद की, इसलिए हमें भी मदद मिली!”

दयालु बंदर – कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम दूसरों की मदद करेंगे, तो हमें भी मदद मिलेगी। दयालु बनना बहुत अच्छी बात होती है।

4. ईमानदारी का इनाम (Imandari Ka Inam)

गाँव में राहुल नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत होशियार और समझदार था, लेकिन कभी-कभी झूठ बोल देता था। उसकी माँ हमेशा उसे सिखाती थीं, “बेटा, ईमानदारी सबसे बड़ी दौलत होती है। जो सच बोलता है, लोग उसी पर भरोसा करते हैं।”

एक दिन स्कूल में परीक्षा थी। राहुल ने खूब पढ़ाई की थी, लेकिन जैसे ही परीक्षा शुरू हुई, उसे महसूस हुआ कि उसकी उत्तर पुस्तिका कहीं खो गई है। वह बहुत परेशान हो गया। तभी उसने पास में एक और उत्तर पुस्तिका पड़ी देखी, जिसमें किसी और का नाम लिखा था।

राहुल के मन में विचार आया, “अगर मैं इस पर अपना नाम लिख दूँ, तो कोई जान भी नहीं पाएगा।” लेकिन फिर उसे अपनी माँ की बात याद आई कि ईमानदारी सबसे जरूरी चीज़ है।

वह तुरंत प्रधानाचार्य के पास गया और बोला, “सर, मेरी उत्तर पुस्तिका कहीं खो गई है। लेकिन मैंने यह दूसरी उत्तर पुस्तिका यहाँ पड़ी हुई पाई है।”

imandari ka inam

प्रधानाचार्य ने उसकी ईमानदारी देखकर कहा, “बेटा, ईमानदारी ही इंसान की सबसे बड़ी पहचान होती है। हम तुम्हारे लिए दूसरी उत्तर पुस्तिका की व्यवस्था कर देंगे।”

राहुल बहुत खुश हुआ कि उसने सच बोलकर खुद को एक अच्छा इंसान बनाया।

ईमानदारी का इनाम – कहानी से सीख

ईमानदारी हमेशा सम्मान और इनाम दिलाती है।

5. मित्रता का सच्चा मूल्य (Mitrata Ka Sachcha Mulya)

अर्जुन और समीर बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों हमेशा साथ खेलते, पढ़ते और गाँव में घूमते थे।

एक दिन दोनों जंगल में घूमने गए। अचानक एक बड़ा भालू उनके सामने आ गया। अर्जुन डर गया और जल्दी से पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन समीर को चढ़ना नहीं आता था।

Mitrata Ka Sachcha Mulya

समीर ने जल्दी से जमीन पर लेटकर सांस रोक ली, जैसे वह मर चुका हो। भालू पास आया, उसे सूंघा और चला गया।

जब भालू चला गया, तो अर्जुन पेड़ से नीचे उतरा और हँसते हुए बोला, “भालू तुम्हारे कान में क्या कह गया?”

समीर ने मुस्कराते हुए कहा, “उसने कहा कि जो मुसीबत में तुम्हें छोड़कर भाग जाए, वह कभी सच्चा दोस्त नहीं हो सकता।”

अर्जुन को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने आगे से सच्चा दोस्त बनने का वादा किया।

मित्रता का सच्चा मूल्य – कहानी से सीख

सच्चे मित्र वही होते हैं जो हर परिस्थिति में साथ दें।

6. परिश्रम का फल (Parishram Ka Fal)

नीलू नाम की लड़की बहुत आलसी थी। उसे पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद में रुचि थी। उसकी माँ हमेशा समझाती थीं, “बेटा, बिना मेहनत के सफलता नहीं मिलती।” लेकिन नीलू पर इसका कोई असर नहीं होता था।

एक दिन माँ ने उसे एक आम का बीज दिया और कहा, “इसे अच्छे से रोपकर देखभाल करो।”

नीलू ने अनमने मन से बीज रोप दिया, लेकिन उसे पानी देना और देखभाल करना भूल गई। कुछ दिनों बाद जब उसने देखा कि बीज अंकुरित नहीं हुआ, तो वह मायूस हो गई।

माँ ने कहा, “देखा, बिना देखभाल के कुछ नहीं होता। अब इसे दोबारा लगाओ और ठीक से ध्यान दो।”

Parishram Ka Fal

नीलू ने इस बार पूरा ध्यान दिया। कुछ हफ्तों बाद एक छोटा पौधा निकला, जो धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। उसे एहसास हुआ कि मेहनत के बिना कुछ भी संभव नहीं।

परिश्रम का फल – कहानी से सीख

परिश्रम से ही सफलता मिलती है।

7. स्वार्थी आदमी की सीख (Swarthi Aadmi Ki Seekh)

राजू बहुत स्वार्थी था। वह कभी किसी की मदद नहीं करता था और हमेशा अपना फायदा सोचता था।

एक दिन वह जंगल में घूम रहा था कि अचानक रास्ता भटक गया। उसने कई लोगों से मदद माँगी, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की क्योंकि वह खुद कभी किसी की सहायता नहीं करता था।

Swarthi Aadmi Ki Seekh

थक-हारकर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया और सोचने लगा, “अगर मैंने दूसरों की मदद की होती, तो शायद आज कोई मेरी मदद करता।”

उसी समय एक बूढ़ा आदमी वहाँ से गुजरा। उसने राजू से पूछा, “बेटा, क्या हुआ?”

राजू बोला, “मैं रास्ता भटक गया हूँ, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?”

बूढ़े आदमी ने उसे सही रास्ता दिखाया और कहा, “याद रखना, बेटा, अगर तुम दूसरों की मदद करोगे, तो दुनिया भी तुम्हारी मदद करेगी।”

राजू को अपनी गलती समझ में आ गई और उसने आगे से दूसरों की मदद करने का संकल्प लिया।

स्वार्थी आदमी की सीख – कहानी से सीख

स्वार्थ से दूर रहकर दूसरों की मदद करनी चाहिए।

8. लालच का नुकसान (Laalach Ka Nuksaan)

रामू एक गरीब किसान था, लेकिन उसकी लालच बहुत ज्यादा थी। वह रोज़ कड़ी मेहनत करता, लेकिन उसे अपनी किस्मत से हमेशा शिकायत रहती थी। एक दिन, उसे जंगल में एक जादुई मुर्गी मिली, जो हर दिन एक सोने का अंडा देती थी।

रामू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब वह हर दिन एक सोने का अंडा बेचकर काफी पैसे कमाने लगा। धीरे-धीरे उसकी गरीबी दूर होने लगी, लेकिन उसकी लालच और बढ़ गई। वह सोचने लगा, “अगर यह मुर्गी हर दिन एक अंडा देती है, तो इसके पेट में बहुत सारे सोने के अंडे होंगे। अगर मैं इसे मार दूँ, तो एक ही दिन में बहुत अमीर बन जाऊँगा!”

रामू से रहा नहीं गया। उसने बिना सोचे-समझे मुर्गी को मार दिया। लेकिन जब उसने पेट चीरकर देखा, तो अंदर कुछ भी नहीं था। सोने के अंडे तो दूर, अब तो वह जादुई मुर्गी भी नहीं रही।

Laalach Ka Nuksaan

रामू का दिल बैठ गया। उसकी बेवकूफी और लालच ने उसे कंगाल बना दिया। अब न तो उसे रोज़ सोने का अंडा मिलता और न ही कोई और सहारा बचा था। वह पछताने लगा, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था।

लालच का नुकसान – कहानी से सीख

लालच का परिणाम हमेशा बुरा होता है। जल्दबाज़ी और अत्यधिक लालच से हमेशा नुकसान ही होता है।

9. दयालुता का इनाम (Dayaluta Ka Inam)

रोहन एक दयालु और अच्छा लड़का था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता। रोज़ स्कूल जाते समय वह एक बूढ़े आदमी को सड़क किनारे बैठा देखता, जो बहुत कमजोर था। एक दिन रोहन ने उसके पास जाकर पूछा, “दादा जी, क्या आपको पानी चाहिए?”

Dayaluta Ka Inam

बूढ़े आदमी ने मुस्कुराकर सिर हिला दिया। रोहन ने अपनी पानी की बोतल से उन्हें पानी पिलाया। यह सिलसिला रोज़ चलने लगा। बूढ़े आदमी ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा, “बेटा, तुम्हारी अच्छाई तुम्हें हमेशा खुश रखेगी।”

समय बीतता गया। कुछ साल बाद रोहन को नौकरी की सख्त जरूरत थी, लेकिन कई जगहों पर कोशिश करने के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिल रही थी। एक दिन उसे एक बड़ी कंपनी से इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। जब वह इंटरव्यू रूम में गया, तो वहाँ बैठा व्यक्ति उसे देखकर मुस्कुरा दिया।

वह कोई और नहीं, बल्कि उसी बूढ़े आदमी का बेटा था, जिसे वह रोज़ पानी पिलाया करता था। उसने कहा, “रोहन, मेरे पिता ने तुम्हारी अच्छाई के बारे में बहुत बताया है। ऐसे ईमानदार और दयालु इंसान को हमारी कंपनी में काम करने का मौका जरूर मिलना चाहिए!”

रोहन को तुरंत नौकरी मिल गई। उसने महसूस किया कि अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते, वे हमेशा लौटकर किसी न किसी रूप में हमें इनाम देते हैं।

दयालुता का इनाम – कहानी से सीख

दयालुता और अच्छे कर्म कभी बेकार नहीं जाते। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो समय आने पर हमें भी मदद मिलती है।

10. सच्ची बहादुरी (Sachchi Bahaduri)

दीपक बहुत डरपोक लड़का था। वह अंधेरे से डरता था, अकेले कहीं जाने से डरता था और तेज़ आवाज़ से भी घबरा जाता था। उसके दोस्त अक्सर उसका मज़ाक उड़ाते थे और कहते, “दीपक, तुम तो हर चीज़ से डरते हो!”

एक दिन गाँव में अचानक आग लग गई। चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे। दीपक भी भागने ही वाला था कि उसने देखा कि एक छोटा बच्चा एक जलते हुए घर के अंदर फँस गया है।

उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वह डर रहा था, लेकिन बच्चे की रोने की आवाज़ सुनकर उसका डर कहीं गायब हो गया। उसने बिना कुछ सोचे जलते हुए घर में दौड़ लगाई। आग के बीच से गुजरते हुए उसने बच्चे को अपनी गोद में उठा लिया और जल्दी से बाहर की ओर भागा। जैसे ही वह बाहर निकला, घर पूरी तरह जलकर गिर पड़ा।

Sachchi Bahaduri

गाँव के लोगों ने उसकी बहादुरी देखी और तालियाँ बजाने लगे। गाँव के मुखिया ने कहा, “दीपक, तुमने आज साबित कर दिया कि सच्ची बहादुरी वही होती है जब हम अपने डर को हराकर सही काम करें!”

दीपक को अब समझ आ गया था कि बहादुरी का मतलब डर ना लगना नहीं, बल्कि अपने डर पर काबू पाकर सही फैसले लेना होता है। उस दिन के बाद वह कभी किसी चीज़ से नहीं डरा।

सच्ची बहादुरी – कहानी से सीख

बहादुरी का मतलब सिर्फ ताकतवर होना नहीं होता, बल्कि अपने डर को हराकर सही समय पर सही फैसला लेना ही असली बहादुरी है।

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निष्कर्ष

कक्षा 2 के बच्चों के लिए नैतिक कहानियाँ (Class 2 Short Moral Stories in Hindi​) बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि ये उनके जीवन में अच्छे संस्कार डालती हैं। इन कहानियों से हमें ईमानदारी, मित्रता, मेहनत, दयालुता, स्वार्थ से बचने, लालच के नुकसान और बहादुरी के बारे में सीख मिलती है। छोटे बच्चों को इस तरह की नैतिक कहानियाँ सुनाकर उनमें अच्छे संस्कार डाले जा सकते हैं।

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