शेर और खरगोश की कहानी (Sher aur khargosh ki kahani) बच्चों के बीच अत्यंत प्रसिद्ध है। इस कहानी में एक बुद्धिमान खरगोश एक लालची शेर को चालाकी से मात देता है। इसका प्रमुख उद्देश्य बच्चों को ज्ञानवर्धक सन्देश देना है और उन्हें यह सिखाना है कि बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा बाधाओं को पार कर सकता है।
Sher aur khargosh ki kahani bachchon ke beech atyant prasiddh hai. is kahani mein ek buddhimaan khargosh ek lalchi sher ko chaalaki se maat deta hai. iska pramukh uddeshya bachchon ko gyaanvardhak sandesh dena hai aur unhein yeh sikhana hai ki buddhimaan vyakti hamesha baadhaon ko paar kar sakta hai.
शेर और खरगोश की कहानी का वीडियो
इस वीडियो में, एक लालची शेर और चतुर खरगोश के बीच एक मुकाबला होता है। खरगोश, अपनी चालाकी और बुद्धिमानी के साथ, शेर को हराकर उसे बेवकूफ बना देता है। यह कहानी बच्चों को यह सिखाती है कि बुद्धिमान और चतुर बने रहना व्यक्तित्व के लिए आवश्यक है और लालच से परहेज करना चाहिए।
आशा करते हैं कि आपने ऊपर दिए गए वीडियो का आनंद लिया होगा, जहां चतुर खरगोश शेर को एक महान सबक सिखाता है।
शेर और खरगोश की कहानी – उत्पत्ति और इतिहास
पंचतंत्र के एक मशहूर किस्से, ‘शेर और खरगोश की कहानी’, लगभग 200 ईसा पूर्व में प्रारंभिक रूप में मौजूद है। यह कहानी भारतीय लोककथाओं के संकलन पंचतंत्र से ली गई है।
इसे महान हिन्दू विद्वान पंडु विष्णु शर्मा ने रचा था, जो मूलतः संस्कृत में लिखी गई थी और बाद में आर्थर विलियम रायडर ने इसे अंग्रेजी में अनुवादित किया था।
पंचतंत्र की कहानियों में मूल्यवान सीखें होती हैं, जो दिनचर्या में अभिप्रेत रहती हैं।
शेर और खरगोश की कहानी – प्रकार और पात्र
यह ‘शेर और खरगोश की कहानी‘ एक नैतिक सिख वाली कहानी है, जो बच्चों को प्रेरित करने के लिए आमतौर पर सुनाई जाती है।
- शेर: एक स्वार्थी और अभिमानी प्राणी, शेर को लगता है कि उसकी शारीरिक ताकत उसे दूसरों से बेहतर बनाती है।
- खरगोश: एक चतुर और निःस्वार्थ पशु, खरगोश अपनी बुद्धिमानी और ज्ञान का उपयोग करके शेर को सबक सिखाता है।
शेर और खरगोश की कहानी
बहुत समय पहले एक जंगल में एक खूंखार शेर राज करता था। शेर राजा होने के कारण जंगल के अन्य सभी जानवरों पर आतंक फैलाता था और उन्हें खा जाता था। बहुत बार वह न केवल एक या दो, बल्कि कई जानवरों को भी मार चुका था। यह बात जंगल के सभी जानवरों को बहुत परेशान करती थी। उन्हें डर था कि एक दिन शेर जंगल के सभी जानवरों को खा जाएगा। इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए जानवरों ने निर्णय लिया कि उन्हें शेर से बात करके उसे समझाएंगे।
इस बादशाही के फैसले के बाद, दूसरे दिन हिम्मत करके सभी जानवर शेर के पास गए। शेर अपनी गुफा में आराम कर रहा था। जब वे सभी जानवर एक साथ आए, तो शेर उनसे गुस्से में बोला,
“तुम सभी एक साथ यहां क्या कर रहे हो? क्या मैंने कोई दावत रखी है?”
गांव वालों का फैसला
उस पर जानवरों के सरदार ने कहा,
“महाराज, हम सब आपसे एक विनती करने आए हैं। आप जब शिकार करने जाते हैं, तो बहुत सारे जानवर मार देते हैं, जिन्हें आप खा नहीं पाते। हमारी संख्या कम हो रही है और आपकी प्रजा भी छोटी हो रही है। यदि ऐसा ही चला तो एक दिन राज्य में कोई जानवर नहीं बचेगा और बिना प्रजा के राजा क्या करेगा? हम चाहते हैं कि आप हमेशा राजा बने रहें, इसलिए हमने एक योजना बनाई है। हम आपके भोजन का इंतजाम करेंगे। हम हर दिन एक जानवर आपकी गुफा में भेज देंगे, ताकि आपका भोजन हो जाएगा और आपको मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, और आपकी प्रजा को भी राहत मिलेगी।”
शेर ने जानवरों की योजना स्वीकार की और कहा,
“ठीक है। मैं तुम्हारे सुझाव को मानता हूँ, लेकिन एक बात याद रखना। अगर मेरा भोजन देरी से आए या कम हो जाए, तो मैं जितने चाहूं, उतने जानवरों को मार डालूंगा।”
जानवरों ने उसके वचन को स्वीकार किया और अपने घर लौट आए।
खरगोश कि चाल
खरगोश को सोच समझकर एक चाल चलनी पड़ी। वह धीरे-धीरे शेर की गुफा तक पहुंचा। जब खरगोश गुफा में पहुंचा, तो उसने देखा कि शेर गुस्से से आग बबूला हो रखा है। शेर ने खरगोश को देखते ही दहाड़ कर कहा,
“तू यहां क्या कर रहा है? मैं तुझे खा जाऊँगा!”
खरगोश ने धीरे से उत्तर दिया,
“महाराज, मैं एक विचित्र खाना लाने आया हूँ जो आपकी भूख को पूरी तरह से मिटा देगा।”
शेर गुस्से से बोला,
“वाह! तो जल्दी ले आ! मैं बहुत भूखा हूँ!”
खरगोश को जब यह देखा गया कि शेर गुस्से से आग बबूला हो रखा है, शेर बहुत खड़ा हो गया और गुस्से से बोला,
“तू यहाँ क्या कर रहा है? कहां मर गए थे और तू मेरा पेट कैसे भरेगा? तू मेरे लिए खाना लाने में इतनी देर क्यों लगाता है?”
खरगोश का धैर्य
खरगोश ने धैर्य से जवाब दिया,
“महाराज, मैं यहाँ आपके लिए खास खाना लाने आया हूँ, जो आपकी भूख को पूरी तरह से शांत कर देगा।”
शेर इस पर और भी गुस्से में आया और कहा,
“ठीक है, फिर जल्दी से ले आ! मुझे बहुत भूख लगी है!”
शेर ने खरगोश के शब्द सुनकर दुःख व्यक्त किया,
“तू ऐसा क्यों करता है? तेरे साथियों को मारने की क्या जरूरत थी? यह अन्याय है।”
खरगोश ने विनम्रता से कहा,
“महाराज, मुझे खेद है कि यह हुआ। मैं आपके सामर्थ्य को जानता हूँ और अपने अगले सवाल का उत्तर ढूंढ़ रहा था। क्या आप मेरी सहायता करेंगे?”
शेर ने कहा,
“जरूर, मैं तुझे माफ करता हूँ। बता, तेरे सवाल क्या है?”
शेर को यह सुनकर और अधिक गुस्सा आया। वह चिढ़ाते हुए बोला,
“क्या? और एक शेर? वह कौन है और वह मेरे जंगल में क्या कर रहा है?”
खरगोश की समझदारी
खरगोश ने जवाब दिया,
“महाराज, वह बहुत बड़ा शेर है और जब मैंने उससे कहा कि तुम हमारे महाराज का भोजन खा रहे हो, तो वह बोला, ‘आज से मैं तुम्हारा महाराज हूं और मेरे अलावा इस जंगल में कोई और शेर नहीं रह सकता। मैं सबको मार डालूंगा।’ उसने मुझे यहां भेज दिया ताकि वह लड़ाई के लिए आपको चुनौती दे सके।”
“अच्छा? ऐसा है क्या? तो मैं भी देखूं कि यह कौन सा शेर है, जो मेरे जंगल में आकर मुझे ही चुनौती दे रहा है। चलो, मुझे उसके पास ले चलो,”
शेर ने गरजकर कहा और खरगोश के साथ चल दिया।
खरगोश ने उन्हें जंगल के बीच में मौजूद एक कुआं के पास ले जाया और कहा,
“महाराज, वह इस गड्ढे के नीचे गुफा में रहता है। शायद वह आपकी आने की खबर सुनकर अंदर चला गया हो।”
जब शेर ने कुएं में झांका, उसे अपनी परछाई दिखी और उसे लगा कि वह दूसरा शेर है। उसके बाद, जब उसने दूसरे शेर को ललकारने के लिए दहाड़ा, तो उसकी दहाड़ से उसे अपनी ही आवाज सुनाई दी, लेकिन उसे लगा कि वह दूसरा शेर भी उसे चुनौती दे रहा है।
शेर ने कुएं में छलांग लगाई, जिससे वह दीवार से टकरा और पानी में गिरकर मर गया। जब यह खबर जंगल के बाकी जानवरों तक पहुंची, तो सभी बहुत खुश हुए और खरगोश की जय जयकार करने लगे।
Sher Aur Khargosh Ki Kahani
Bahut samay pehle ek jungle mein ek khoonkhaar sher raaj karta tha. Sher raja hone ke kaaran jungle ke anya sabhi jaanwaron par atank phailata tha aur unhein kha jaata tha. Bahut baar vah na keval ek ya do, balki kai jaanwaron ko bhi maar chuka tha. Yeh baat jungle ke sabhi jaanwaron ko bahut pareshan karti thi. Unhein dar tha ki ek din sher jungle ke sabhi jaanwaron ko kha jaayega. Is samasya ka samadhan dhoondhne ke liye jaanwaron ne nirnay liya ki unhein sher se baat karke use samjhaana chahiye.
Is badshaahi ke faisle ke baad, agle din himmat karke sabhi jaanwar sher ke paas gaye. Sher apni gufa mein aaram kar raha tha. Jab ve sabhi jaanwar ek saath aaye, to sher unse gusse mein bola:
“Tum sabhi ek saath yahan kya kar rahe ho? Kya maine koi daawat rakhi hai?”
Gaon walon ka faisla
Us par jaanwaron ke sardar ne kaha:
“Maharaj, hum sab aapse ek vinati karne aaye hain. Aap jab shikaar karne jaate hain, to bahut saare jaanwar maar dete hain, jinhein aap kha nahi paate. Hamari sankhya kam ho rahi hai aur aapki praja bhi chhoti ho rahi hai. Yadi aisa hi chala to ek din rajya mein koi jaanwar nahi bachega, aur bina praja ke raja kya karega? Hum chahte hain ki aap hamesha raja bane rahein, isliye humne ek yojana banayi hai. Ki, Hum aapke bhojan ka intezaam karenge. Hum har din ek jaanwar aapki gufa mein bhej denge, taaki aapka bhojan ho jaayega aur aapko mehnat nahi karni padegi, aur aapki praja ko bhi rahat milegi.”
Sher ne jaanwaron ki yojana sweekar ki aur kaha:
“Theek hai. Main tumhare sujhav ko maanta hoon, lekin ek baat yaad rakhna. Agar mera bhojan deri se aaye ya kam ho jaaye, to main jitne chahoon, utne jaanwaron ko maar daaloonga.”
Jaanwaron ne uske vachan ko sweekar kiya aur apne ghar laut aaye.
Khargosh ki chaal
Khargosh ko soch samajhkar ek chaal chalni padi. Vah dheere-dheere sher ki gufa tak pahucha. Jab khargosh gufa mein pahucha, to usne dekha ki sher gusse se aag baboola ho rakha hai. Sher ne khargosh ko dekhte hi dahaad kar kaha:
“Tu yahan kya kar raha hai? Main tujhe kha jaaunga!”
Khargosh ne dheere se uttar diya:
“Maharaj, main ek vichitra khaana laane aaya hoon jo aapki bhukh ko poori tarah se mita dega.”
Sher gusse se bola:
“Waah! To jaldi le aa! Main bahut bhookha hoon!”
Jab khargosh ne dekha ki sher gusse se aur bhi bhadka hua hai, to sher khada ho gaya aur zor se bola:
“Tu yahan kya kar raha hai? Kahan mar gaya tha, aur tu mera pet kaise bharega? Tere jaise chhote jaanwar ne itni der kyun lagayi?”
Khargosh ka dhairya
Khargosh ne shaanti se jawab diya:
“Maharaj, main aapke liye khaas khaana laaya hoon, jo aapki bhookh ko poori tarah se shaant kar dega.”
Sher aur gusse mein aaya aur kaha:
“Theek hai, fir jaldi se le aa! Mujhe bahut bhookh lagi hai!”
Sher ne khargosh ke shabd sunke thoda dukh vyakt kiya:
“Tu aisa kyun karta hai? Tere saathiyon ko maarne ki kya zarurat thi? Yeh anyay hai.”
Khargosh ne vinamrata se kaha:
“Maharaj, mujhe khed hai ki yeh hua. Main aapki takat ko jaanta hoon aur apne agle sawal ka uttar dhoondh raha tha. Kya aap meri madad karenge?”
Sher ne kaha:
“Zaroor, main tujhe maaf karta hoon. Bata, tera sawal kya hai?”
Sher ko yeh sunke aur bhi gussa aaya. Vah chidhaate hue bola:
“Kya? Aur ek sher? Vah kaun hai aur mere jungle mein kya kar raha hai?”
Khargosh ki samajhdari
Khargosh ne jawab diya:
“Maharaj, vah bahut bada sher hai aur jab maine usse kaha ki tum hamare maharaj ka bhojan kha rahe ho, to vah bola, ‘Aaj se main tumhara maharaj hoon aur mere alawa is jungle mein koi aur sher nahi reh sakta. Main sabko maar daaloonga.’ Usne mujhe yahan bhej diya taaki vah aapko ladayi ke liye chunauti de sake.”
“Achha? Aisa hai kya? To main bhi dekhoon ki yeh kaun sa sher hai jo mere jungle mein aakar mujhe hi chunauti de raha hai. Chalo, mujhe uske paas le chalo,”
Sher ne garajkar kaha aur khargosh ke saath chal diya.
Khargosh ne use jungle ke beech mein maujood ek kuaan ke paas le jaakar kaha:
“Maharaj, vah is gaddhe ke neeche gufa mein rehta hai. Shayad aapke aane ki khabar sunkar andar chala gaya ho.”
Jab sher ne kuaan mein jhaanka, use apni parchai dikhi aur use laga ki vah doosra sher hai. Uske baad, jab usne doosre sher ko lalkaarne ke liye dahaada, to uski hi awaaz wapas sunayi di, lekin use laga ki doosra sher bhi usse chunauti de raha hai.
Sher ne kuaan mein chhalaang lagayi, jisse vah deewar se takra gaya aur paani mein gir kar mar gaya. Jab yeh khabar jungle ke baaki jaanwaron tak pahunchi, to sabhi bahut khush hue aur khargosh ki jai-jaikaar karne lage.
शेर और खरगोश की कहानी से सीख
यह कहानी हमें यह दिखाती है कि हमें कभी भी मुश्किल परिस्थितियों में धीरज बनाए रखना चाहिए। जब हम चिंतित और परेशान होते हैं, तो हमारा दिमाग सही निर्णय लेने की क्षमता गँवा देता है। इसलिए, हमें शांत मन से सोचना चाहिए और नए और अद्भुत समाधानों को खोजने के लिए अपने दिमाग को खुला रखना चाहिए। इस तरीके से हम हर कठिनाई को आसानी से सुलझा सकते हैं और सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
Sher aur Khargosh ki Kahani se Seekh
Yeh kahani humein yeh batati hai ki humein kabhi bhi mushkil paristhitiyon mein dhairya nahi khona chahiye. Jab hum chintit ya pareshan hote hain, to humara dimaag sahi faisle lene ki kshamata kho deta hai. Isliye, humein shaant man se sochna chahiye aur naye samadhanon ko sochne ke liye apna dimaag khula rakhna chahiye. Isi tareeke se hum har mushkil ka hal nikal sakte hain aur safalta ki aur badh sakte hain.
शेर और खरगोश की कहानी – संक्षेप
‘शेर और खरगोश की कहानी’ एक कहानी है जो एक दुष्ट शेर की कहानी सुनाती है जिसने जंगल में आतंक मचाया था, लेकिन जब जानवरों ने एक योजना बनाई तो उसे रोज़ाना खाने की प्रदान की। चतुर खरगोश, शेर के अगले भोजन के लिए नियुक्त हो गया, उसने उसे धोखा देकर एक मिथ्या विरोधी शेर की खोज कराई और उसे एक कुएँ की ओर ले चला।
अपनी प्रतिरूप मानकर, शेर उसमें कूद गया और फंस गया, जिससे अन्य जानवरों को शांति मिली और वे सुरक्षित रह सके।
Sher aur Khargosh ki Kahani – Sankshipt
‘Sher aur Khargosh ki Kahani’ ek dushṭ sher ki kahani hai jo jungle mein atank machata tha, lekin jab jaanwaron ne ek yojana banayi to use har din bhojan diya jaane laga. Ek chatur khargosh ne apni baari par sher ko ek jhoothe dusre sher ki baat bataakar ek kuaan tak le gaya.
Sher ne apna pratibimb dekhkar socha ki vah dusra sher hai aur usse ladne ke liye kuaan mein chhalaang laga di. Sher ke mar jaane ke baad jungle ke sabhi jaanwar surakshit ho gaye.
वास्तविक जीवन में नैतिक सीख का उपयोग
संबंधित कहानी की नैतिक सीख को बच्चे अपने अपने जीवन में लागू कर सकते हैं। उन्हें प्रेरित किया जा सकता है कि वे आगे सोचें और अपने कार्यों के परिणामों का ध्यान रखें, जिससे उन्हें बुद्धिमान निर्णय लेने में सहायता मिले।
इस तरह बल के साथ-साथ चतुरता और समस्या का समाधान करने की क्षमता को प्रोत्साहित करके, बच्चे सीखते हैं कि कभी-कभी केवल शक्ति ही उत्तर नहीं होती।
इसके बजाय, वे रणनीतिक और शांतिपूर्ण तरीके से चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित करते हैं, जिससे सभी संबंधित लाभान्वित हो सकते हैं।
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निष्कर्ष
शेर और खरगोश की कहानी बच्चों को बुद्धि और बुद्धिमानी की शक्ति सिखाती है। मोरल बातें को रोचक कथाओं में मिलाकर, इस तरह की कहानियाँ बच्चों की कल्पना को प्रेरित करती हैं, उनकी शब्दावली को बढ़ाती हैं और मूल्यवान जीवन सीखों को प्रदान करती हैं।
इस कहानी को बच्चों के साथ साझा करके, हम उन्हें तार्किक विचार करने की प्रेरणा देते हैं, वैकल्पिक हल ढूंढ़ने की क्षमता को विकसित करते हैं और एक ऐसी दुनिया को पोषण करते हैं जहां बुद्धिमानी हठियारबंदी से जीतती है।
Sher aur Khargosh ki kahani bachchon ko yeh samajhne mein madad karti hai ki buddhi se badi se badi samasya ko bhi hal kiya ja sakta hai. Aisi kahaniyaan bachchon ki sochne ki kshamta ko behtar banati hain, unki bhasha ko samriddh karti hain aur unhe zindagi se judi zaroori baatein sikhati hain.
Jab hum is kahani ko bachchon ke saath saanjha karte hain, to hum unhe soch-samajh kar nirnay lene, naye samadhan dhoondhne aur yeh jaane mein madad karte hain ki samajhdari se kaise koi bhi mushkil hal ki ja sakti hai.





